एक प्यारे से couple को करीब 10 साल बाद एक बच्ची हुई, वो सभी आपस में खुश थे, एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. और बच्ची तो उनकी दुलारी थी. एक सुबह, जब बच्ची करीब कुछ दो सालो की थी, तो पति ने टेबल पर एक बोतल देखि जिसका ढ़क्कन खुला हुआ था. वो काम के लिए late हो रहा था. इसलिए उसने पत्नी को बोतल का ढ़क्कन लगाने और उसे अलमारी में रखने के लिए कह कर चला गया. पत्नी जो की kitchen में अपने काम में busy थी. वो भूल ही गयी. उसका ध्यान नहीं गया. छोटी लड़की ने उस बोतल को देखा और खेल खेल में उसके पास जाकर उसे उठा लिया. उसके रंगीन रंग को देख कर खुश होते हुए उससे खेलने लगी. और उसे पूरा पी गयी… वो बोतल एक दवा की थी, जो adults के लिए वो भी कम dosages के लिए थी. उस दवा से बच्ची की हालत बहुत ख़राब हो गयी. दवा जहर की तरह असर कर रही थी. क्योंकि उसका छोटा सा शरीर सह नहीं पा रहा था.. जब उसकी माँ ने यह देखा तो वो तुरंत उसे अस्पताल ले गयी, जहाँ उसकी मृत्यु हो गयी.. उसकी माँ बहुत ही डर गयी, और सदमे में आ गयी. वो अपने पति का सामना कैसे करेगी.. खबर पाते ही, पति जब आये और अपनी बच्ची को इस हालत में देखा तो वो सह नहीं पाए, उन्हें दर्द हुआ. उन्होंने अपनी पत्नी की तरफ नजर उठा के देखा, वो सहमी हुई थी, और कहा, “ मैं तुम्हे बहुत ही ज्यादा चाहता हूँ.” और पत्नी को गले लगाकर उसे सहारा दिया, अपने बच्चे को खोने के गम में वो बिलख पड़ी… पति के ऐसे reaction की उम्मीद नहीं थी, पर उसके मन में बस एक बात आई. अगर वो खुद ही बोतल बंद कर देता तो, और अपनी पत्नी, जिसने अभी अभी अपनी मासूम सी बच्ची खोयी है, उसे दिलासे की जरुरत है, आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होने वाला था… उसने वो किया जो समय और स्तिथि के अनुरूप था. कई बार हमारे जीवन में भी ऐसे पल आ जाते है, जब हम आसानी से किसी पर अपना काम थोप देते है, जबकि हम स्वयं ही उन्हें करने के काबिल हैं. हम दूसरो पर असफ़लता का ठीकरा भी फोड़ देते ह

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माँ का दर्द... "मनुष्य का शरीर सिर्फ 45 del (यूनिट) तक का ही दर्द सहन कर सकता है । पर बच्चे को जन्म देते समय एक माँ को 57 del (यूनिट) तक का दर्द होता है ।" यह 20 हड्डियों के एक साथ टूटने के बराबर है । जिसने आपके लिये इतना दर्द सहा हो, उसके दिल को कभी दर्द मत देना मित्रो.! .Agree frnds.???

बीवी और साली

पापा मुझे चोट लग गई..

रात का वक़्त था. बाहर बड़ी ठंड थी. पति पत्नी कार में जा रहे थे. सड़क किनारे पेड़ के नीचे पतली पुरानी फटी चिथड़ में लिपटे एक बूढ़े भिखारी को देख पत्नी का दिल द्रवित हो गया. उसने पति से कहा कि वह बूढ़ा ठंड से काँप रहा है,कार रोको. पति ने कार रोक दी. पत्नी बोली कार में जो कंबल पड़ा है उसे दें देते हैं. पति बोला-"क्या कहती हो. इतना मंहगा कंबल,वह उसे बेच देगा. ये ऐसे ही होते हैं". पत्नी न मानी. अनमने मन से पति नें कंबल उठाया और ले जाकर बूढ़े को ओढ़ा दिया-"ले बाबा ऐश कर" . अगले दिन दिन में भी बड़े ग़ज़ब की ठंड थी. पति पत्नी उसी रास्ते से निकले. सोचा देखें रात वाले बूढ़े का क्या हाल है. देखा तो बूढ़े भिखारी के पास वह कंबल नहीं था. अपनी वही पुरानी चादर ओढ़े भीख मांग रहा था. पति ने पत्नी से कहा -"मैंने कहा था कि उसे मत दो बेच दिया होगा". दोनों कार से उतर कर उसके पास गये. पति ने व्यंग्य से पूछा- "बाबा रात वाला कंबल कहाँ हैं बेच कर नशे का सामान ले आये क्या ? बूढ़े ने हाथ से इशारा किया थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ी औरत भीख मांग रही थी. उनका दिया वही कंबल उसने ओढ़ा हुआ था. बूढ़ा बोला-"वह औरत पैरों से विकलांग है, मेरे पास तो कम से कम ये पुरानी चादर तो है, उसके पास कुछ नहीं था तो मैंने कंबल उसे दें दिया " पति पत्नी हतप्रभ रह गये, फिर धीरे से पति नें पत्नी से कहा-"घर से एक कंबल लाकर बूढ़े को दे देते हैं"

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