Beti
एक औरत गर्भ से थी पति को जब पता लगा की
कोख में बेटी हैं तो वो उसका गर्भपात करवाना चाहते
हैं दुःखी होकर पत्नी अपने पति से क्या कहती हैं :-
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, वो खूब सारा प्यार हम पर
लुटायेगी, जितने भी टूटे हैं सपने, फिर से वो सब सजाएगी.. सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को, जब जब घर आओगे तुम्हे खूब
हंसाएगी, तुम प्यार ना करना बेशक उसको, वो अपना प्यार
लुटाएगी.. सुंनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, हर काम
की चिंता एक पल में भगाएगी, किस्मत को दोष ना दो,
वो अपना घर आंगन महकाएगी..
ये सब सुन
पति अपनी पत्नी को कहता हैं :- सुनो में
भी नही चाहता मारना इस नन्ही कलि को,
तुम क्या जानो, प्यार नहीं हैं क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ समाज में हो रही रोज रोज की दरिंदगी से..
क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को, वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा, पर बहार किस किस से बचाऊंगा,
जब उठेगी हर तरफ से नजरें, तो रोक खुद को ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को, इस दौर में लाना चाहोगी,
जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे,
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..
ये सुनकर गर्भ से आवाज आती हैं सुनो माँ पापा
में आपकी बेटी मेरी भी सुनो :- पापा सुनो ना, साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को, घर लक्ष्मी हैं आपकी बेटी, वक्त
पड़ने पे में काली भी बन जाउंगी,
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, उड़ान देना मेरे हर वजूद को, में
भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर
जाउंगी..
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया, में
झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज
बचाउंगी..
पति (पिता) ये सुन कर मौन हो गया और उसने अपने फैसले पे
शर्मिंदगी महसूस करने लगा और कहता हैं अपनी बेटी से :- में अब
कैसे तुझसे नजरे मिलाऊंगा, चल पड़ा था तुम्हारा गला दबाने, अब
कैसे खुद को तुम्हारे सामने लाऊंगा, मुझे माफ़ करना ऐ मेरी बेटी,
तुझे इस दुनियां में सम्मान से लाऊंगा.. वहशी हैं ये
दुनिया तो क्या हुआ, तुझे बहादुर बिटियाँ बनाऊंगा.. मेरी इस
गलती की मुझे हैं
शर्म, घर घर जाके सबका भ्रम मिटाऊंगा बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में अलख जगाऊंगा...
कोख में बेटी हैं तो वो उसका गर्भपात करवाना चाहते
हैं दुःखी होकर पत्नी अपने पति से क्या कहती हैं :-
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, वो खूब सारा प्यार हम पर
लुटायेगी, जितने भी टूटे हैं सपने, फिर से वो सब सजाएगी.. सुनो,
ना मारो इस नन्ही कलि को, जब जब घर आओगे तुम्हे खूब
हंसाएगी, तुम प्यार ना करना बेशक उसको, वो अपना प्यार
लुटाएगी.. सुंनो, ना मारो इस नन्ही कलि को, हर काम
की चिंता एक पल में भगाएगी, किस्मत को दोष ना दो,
वो अपना घर आंगन महकाएगी..
ये सब सुन
पति अपनी पत्नी को कहता हैं :- सुनो में
भी नही चाहता मारना इस नन्ही कलि को,
तुम क्या जानो, प्यार नहीं हैं क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ समाज में हो रही रोज रोज की दरिंदगी से..
क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को, वो बहार नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा, पर बहार किस किस से बचाऊंगा,
जब उठेगी हर तरफ से नजरें, तो रोक खुद को ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को, इस दौर में लाना चाहोगी,
जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को, क्या बीती होगी उनपे,
जिन्हें मिला हैं ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को ऐसी मौत दिलाना चाहोगी..
ये सुनकर गर्भ से आवाज आती हैं सुनो माँ पापा
में आपकी बेटी मेरी भी सुनो :- पापा सुनो ना, साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को, घर लक्ष्मी हैं आपकी बेटी, वक्त
पड़ने पे में काली भी बन जाउंगी,
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, उड़ान देना मेरे हर वजूद को, में
भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान भर
जाउंगी..
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को, आप बन जाना मेरी छत्र छाया, में
झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से लाज
बचाउंगी..
पति (पिता) ये सुन कर मौन हो गया और उसने अपने फैसले पे
शर्मिंदगी महसूस करने लगा और कहता हैं अपनी बेटी से :- में अब
कैसे तुझसे नजरे मिलाऊंगा, चल पड़ा था तुम्हारा गला दबाने, अब
कैसे खुद को तुम्हारे सामने लाऊंगा, मुझे माफ़ करना ऐ मेरी बेटी,
तुझे इस दुनियां में सम्मान से लाऊंगा.. वहशी हैं ये
दुनिया तो क्या हुआ, तुझे बहादुर बिटियाँ बनाऊंगा.. मेरी इस
गलती की मुझे हैं
शर्म, घर घर जाके सबका भ्रम मिटाऊंगा बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में अलख जगाऊंगा...
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