चँद्रोदय मंदिर
Akshayapatra सोसाइटी ने वृंदावन में वर्ल्ड के सबसे ऊंचे मंदिर का कंस्ट्रक्शन शुरू कर दिया है।
- मंदिर की हाइट 210 मीटर होगी और इस बिल्डिंग में 70 फ्लोर बनाए जाएंगे। मुकेश अंबानी का एंटीलिया कुल 170 मीटर ऊंचा है और उसमें 27 फ्लोर शामिल हैं।
- चंद्रोदय मंदिर को पिरामिड का डेवलप्ड फॉर्म कहा जा रहा है।
- इसकी स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग के लिए इस्कॉन सोसाइटी ने अमेरिका की स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कंपनी थॉर्नटन टोमासेटी की सेवाएं ली हैं।
- इस मंदिर के कंस्ट्रक्शन का जिम्मा गुड़गांव की इनजीनियस स्टूडियो और नोएडा की क्विनटेसेंस डिजाइन स्टूडियो को सौंपा गया है।
- 2006 में इसकी परिकल्पना की गई और 8 साल की तैयारियों के बाद 2014 में नींव रखी गई।
- प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक, इसकी नींव लगभग कुतुब मीनार की ऊंचाई जितनी गहरी खोदी गई है।
- मंदिर की नींव 55 मीटर जमीन में गहरी होगी और इसका बेस 12 मीटर ऊंचा होगा। कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। यानी कि कुतुब मीनार से कुल 6 मीटर कम गहरी।
- इसका निर्माण 2022 में पूरा होगा।
मंदिर में लगे कांच बाहर की गर्मी को अंदर नहीं आने देंगे।
- बिल्डिंग में 511 पिलर होंगे, जिनकी कैपेसिटी 9 लाख टन भार सहने की है।
- पूरी बिल्डिंग का वजन 5 लाख टन होगा। जबकि ये पिलर 9 लाख टन वजन सह सकता है।
- चंद्रोदय पहला ऐसा पहला मंदिर होगा, जिसमें बड़े पैमाने पर ग्लास का प्रयोग किया जाएगा।
- ये ग्लास गर्मी को मंदिर के अंदर नहीं आने देंगे।
- भूकंप या तूफान के दौरान भी ग्लास नहीं टूटेंगे।
मंदिर परिसर में लगेगी हाई स्पीड लिफ्ट।
- मंदिर के लिए हाई स्पीड लिफ्ट तैयार की जा रही है। यह एक सेकेंड में 8 मीटर (दो मंजिल) की रफ्तार से चलेगी।
- यदि किसी तूफान की वजह से बिल्डिंग एक मीटर झुक भी गई तो भी लिफ्ट सीधी चलती रहेगी। गति और दिशा में परिवर्तन नहीं होगा।
खूबसूरती के लिए बनेगी आर्टीफीशियल यमुना।
18 एकड़ में 12 वनों के प्रतिरूप होंगे और आर्टीफीशियल यमुना बनेगी।
- इसमें लोग बोटिंग कर कृष्ण की लीलाओं के बारे में जानकारी ले सकेंगे।
- लोगों को वास्तविक वनों की फील मिलेगी।
- 12 जंगलों में तालवन (खजूर के वन), भांदिवन (वट वृक्ष वन), वृंदावन (तुलसी का वन) और निधिवन आदि शामिल हैं।
तीसरे फ्लोर पर होगी बलराम-कृष्ण की पूजा।
- मुख्य चंद्रोदय मंदिर के अंदर तीन मंदिर होंगे।
- पहला मंदिर चैतन्य महाप्रभु का होगा।
- दूसरा मंदिर राधाकृष्ण और तीसरा मंदिर कृष्ण व बलराम का होगा।
- ये मंदिर जमीन से 12 मीटर की ऊंचाई तक होंगे।
- इन तीन मंदिरों की कैपेसिटी 35 हजार विजिटर्स की होगी।
एंटीलिया से दोगुना ज्यादा होंगे फ्लोर्स।
मंदिर की हाईट 210 मीटर है और इस बिल्डिंग में 70 फ्लोर बनाए जाएंगे।
- मुकेश अंबानी का एंटीलिया कुल 170 मीटर ऊंचा है और उसमें 27 फ्लोर शामिल हैं।
टेलिस्कोप से देख सकेंगे पूरे कॉम्प्लेक्स का व्यू
- टॉप फ्लोर पर व्यूइंग गैलरी होगी, जहां टेलिस्कोप की मदद से विजिटर्स श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, गोवर्धन पर्वत जैसे बृज के धार्मिक स्थल देख सकेंगे।
- निर्माण कार्य में सभी धर्म के लोगों की बराबर भागिदारी है। इसके लीड आर्किटेक्ट सिख धर्म से जुड़े जेजे सिंह हैं।
- जबकि अमेरिकन कंपनी के स्ट्रक्चरल आर्किटेक्ट मुस्लिम हैं।
- लिफ्ट डिजाइन करने वाले ईसाई हैं।
मंदिर के 700 करोड़ प्लस रुपए का बजट 4 पार्ट्स में किया गया।
- मंदिर का मुख्य भवन के निर्माण में पांच सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- 150 करोड़ रुपए की अंडरग्राउंड पार्किंग बनेंगे।
- सड़क निर्माण में 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- इसके अलावा 12 तरह के वन व कृत्रिम यमुना का खर्च अलग है।
भक्त 4D में देखेंगे कृष्ण लीलाएं।
- मंदिर के नीचे इंडोर कृष्ण लीला पार्क होगा, जहां पर बृज का सांस्कृतिक कार्यक्रम, इंडियन फिलॉसफी पर रिसर्च, लाइब्रेरी आदि होंगे।
- इस कृष्ण लीला पार्क में 4डी तरीके से भगवान कृष्ण के लीलाओं के बारे में बताया जाएगा।
- इससे देखने वालों को महसूस होगा कि कृष्ण की लीलाएं उनके आस-पास ही हो रही हैं।
- इसी पार्क में सारे लोकों के दर्शन होंगे, जिसमें भूलोक, स्वर्गलोक, वैकुंठ लोक, गोलोक धाम का काल्पनिक स्वरूप देखने को मिलेगा।
मंदिर की पार्किंग में 3500 गाड़ियां एक बार में खड़ी होने की स्पेस होगी।
मंदिर का पार्किंग लॉट 35 सौ गाड़ियों की कैपेसिटी का होगा।
- मुकेश अंबानी के एंटीलिया में मात्र 168 कार ही पार्क हो सकती हैं।
- मंदिर परिसर में 10 एकड़ में 2 फ्लोर अंडरग्राउंड पार्किंग होगी।
- मंदिर परिसर में बैटरी से चलने वाली फ्यूचर कारों के लिए अलग पार्किंग होगी, जिसमें कार को चार्ज किया जा सकेगा।
पिरामिड का डेवेलप्ड फॉर्म होगा चंद्रोदय मंदिर।
- 200 साल में पहली बार किसी मंदिर के आर्किटेक्चर को मॉडर्न डिजाइन दिया जा रहा है।
- यह परंपरागत द्रविड़ और नागरशैली का मिक्स्ड फॉर्म होगा।
यह मंदिर पौराणिक कालिया नाग के निवास स्थान (सुनरक क्षेत्र) पर बन रहा है।
- मंदिर की साइट सुनरक क्षेत्र के पास है।
- 5000 साल पहले यहां पर कालिया नाग का वास था।
- उसके विष की वजह से मीलों दूर तक मिट्टी बंजर हो गई थी।
- आज भी यहां सरसों के अलावा कोई फसल नहीं होती, जल प्रदूषित है और पेड़ कम हैं।
- इसके बावजूद यहां पर वैज्ञानिक तरीके से वन लगाए जाएंगे।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक इस मंदिर की नींव लगभग कुतुबमीनार की लंबाई जितनी गहरी है।
- मंदिर 55 मीटर जमीन में गहरी होगी और इसका बेस 12 मीटर ऊंचा होगा।
- कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है।
- दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत की गहराई मात्र 25 मीटर है। वहां पर इतनी ही गहराई पर पत्थर मिल जाते हैं।
- प्रोजेक्ट डायरेक्टर दास के मुताबिक मथुरा में 75 मीटर गहराई के बाद भी पत्थर नहीं मिले।
- यहां पर रेत और मिट्टी की लेयर मिली है।
- इस वजह से चंद्रोदय मंदिर की नींव को 55 मीटर गहरा बनाने का फैसला किया गया है।
170 किलोमीटर प्रतिघंटा का तूफान भी झेल सकेगा मंदिर।
- चंद्रोदय मंदिर के विंड प्रेशर का एनालिसिस आरडब्ल्यूएडीए कंपनी ने किया है।
- इसी कंपनी ने दुबई के बुर्ज खलीफा प्रोजेक्ट पर भी काम किया है।
- पिछले 500 साल का हवा के दबाव के आंकड़े से यह एनालिसिस किया गया है।
- आंध्र प्रदेश में 110 किलोमीटर की रफ्तार के तूफान ने तबाही मचा दी थी।
- चंद्रोदय मंदिर की बिल्डिंग 170 किलोमीटर की रफ्तार का तूफान झेल सकेगी। इतनी रफ्तार पर पूरी बिल्डिंग अधिकतम एक मीटर झुकेगी।
यह मंदिर 8 रिक्टर स्केल से ज्यादा का भूकंप सह सकता है।
- आईआईटी रुड़की ने मंदिर की साइट पर अधिकतम भूकंप आने की संभावना पर रिसर्च की है।
- भूकंप के लिहाज से यह क्षेत्र जोन 4 में आता है।
- इस मंदिर को 8 रिक्टर स्केल से ज्यादा का भूकंप सहने की क्षमता का बनाया गया है।
बिल्डिंग की उम्र 500 साल तय की गई है।
- मंदिर के लिए प्रो. एमए शेट्टी की निगरानी में स्पेशल कांक्रीट तैयार किया गया है।
- इसमें मात्र 25 प्रतिशत सीमेंट और 65 प्रतिशत ग्राउंड ग्रैनिलेटर ब्लास्ट का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसके कांक्रीट व सरिया को इतने साल तक नुकसान नहीं होगा।
- सरिया को अहमदाबाद में हॉट डिप जिंक कोटिंग करवाया जा रहा है, जिससे मिट्टी व ग्राउंड वाटर में मौजूद क्लोरीन इसे नुकसान न पहुंचा सके।
साभार WhatsApp
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